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जयंती: सरदार वल्लभ भाई पटेल की 145 वीं जयंती आज, इस काम के बाद  मिली थी लौहपुरुष की उपाधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की आज 145वीं जयंती मनाई जा रही है। भारत को आजादी मिलने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही कारण भी है कि वल्लभभाई पटेल की जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस ( National Unity Day ) के तौर पर मनाया जाता है। 

आपको बता दें कि पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 में मनाया गया था। पेशे से वकील सरदार पटेल ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें खासतौर पर खेड़ा सत्याग्रह के लिए जाना जाता है। सरदार पटेल आजादी के बाद देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी थे। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें...

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सरदार वल्लभ भाई पटेल 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में जन्मे थे। तकरीबन 562 रियासतों में बंटे भारत को एक राष्ट्र बनाने के लिए सरदार पटेल ने काफी पसीना बहाया। उन्होंने जूनागढ़ और हैदराबाद जैसे विवादित रियासत को भी अपनी चतुराई और कूटनीतिक कौशल से भारत में मिला दिया था। इसी वजह से महात्मा गांधी ने उन्हें लौहपुरुष की उपाधि प्रदान की थी।

31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में किसान झबेरभाई और धर्मपरायण माता लाड़बाई के परिवार में जन्मे सरदार वल्लभ भाई पटेल बचपन से ही साहसी थे। उनकी वीरता का सबसे पहला किस्सा बचपन में देखा गया, जब उन्हें फोड़ा हो गया। माता-पिता ने उसका खूब इलाज करवाया, लेकिन वह ठीक नहीं हुआ। इस पर एक वैद्यजी ने सलाह दी कि इस फोड़े को अगर लोहे की गर्म सलाख से दाग दिया जाए, तो इसके विषाणु जलकर मर जाएंगे और गल चुकी त्वचा भी जल जाएगी। इससे फोड़ा ठीक हो जाएगा।

किंतु प्रश्न यह खड़ा हुआ कि छोटे बच्चे कोगर्म सलाख से दागे कौन? पिता-माता की तो हिम्मत ही नहीं हुई, वैद्यजी भी सहम गए। तब बालक वल्लभ भाई ने खुद ही गर्म सलाख अपने हाथ में ली और फोड़े वाली जगह पर दाग दी। इससे फोड़ा फूट गया और कुछ दिनों में ठीक हो गया।

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वहीं जब पटेल बैरिस्टर बनने के बाद वकालत कर रहे थे। एक दिन वे न्यायाधीश के सामने किसी मामले में जोरदार पैरवी कर रहे थे। तभी उनके लिए एक टेलीग्राफ मिला, जिसे उन्होंने पढ़कर जेब रख लिया और बहस करते रहे। पैरवी खत्म होने पर ही वे घर के लिए निकले। बाद में पता चला कि टेलीग्राफ में उनकी पत्नी के निधन की सूचना थी। किंतु सरदार ने पहले अपने कार्य-धर्म का पालन किया, फिर अपने जीवन-धर्म का।

आपको बता दें कि सरदार पटेल को 1991 में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न दिया जा चुका है। साल 1950 के 15 दिसंबर को लौहपुरुष का मुंबई में निधन हो गया। सरदार पटेल महात्मा गांधी के सबसे बड़े समर्थकों में गिने जाते हैं। उनके जीवन में गांधी के दर्शन का काफी प्रभाव था।



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Jayanti: Today's 145th birth anniversary of Sardar Vallabhbhai Patel, know about them
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source https://www.bhaskarhindi.com/national/news/jayanti-todays-145th-birth-anniversary-of-sardar-vallabhbhai-patel-know-about-them-180120

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