पणजी, 28 नवंबर (आईएएनएस)। चर्च निकाय ने नवनिर्मित गोवा पर्यटन नीति 2020 को मृगतृष्णा की तरह बताते हुए कहा कि इससे न तो राज्य को लाभ होगा, न ही यहां के लोगों को। साथ ही यह भी कहा कि दस्तावेज में डेटा और तथ्यों की भी कमी है। राज्य के पर्यटन मंत्रालय को लिखे पत्र में सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म के कार्यकारी निदेशक फादर फ्रेडी ब्रागांका, जो गोवा चर्च के तत्वावधान में काम करते हैं, उन्होंने कहा कि पिछले महीने कैबिनेट ने जिस नीति को मंजूरी दी थी, उसमें पर्यावरण पतन, सेक्स टूरिज्म, ड्रग्स की आसान उपलब्धता, महिलाओं और बच्चों की ट्रैफिकिंग जैसे गंभीर मुद्दों को नजरअंदाज किया गया था। वहीं वर्ष अंत के आसपास अधिक खर्च करने वाले पर्यटकों के बारे में कहा गया कि यह कथन विचारों में दिवालियापन प्रदर्शित करता है। आश्चर्य करने वाली बात यह है कि अधिक खर्चीला की अवधारणा और उसका परिमाणीकरण क्या है। वल्र्ड क्लास जैसे अस्पष्ट शब्दों को योग्य बनाने की जरूरत है। फादर ब्रागांका ने मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में कहा कि लोगों को फॉकस करते हुए न्यायसंगत और समान पर्यटन की परिकल्पना करने की जरूरत है। इसके साथ
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